अकोला न्यूज नेटवर्क ब्युरो दिनांक २५ जून २०२५ :- अकोला के आराध्य देवता श्री राजराजेश्वर मंदिर को राज्य सरकार ने बी-वर्ग दर्जा प्रदान किया। विधायक साजिद खान पठान की पहल पर हुई बैठक में नगर विकास विभाग ने निर्णय लिया, जिससे मंदिर विकास, तीर्थपर्यटन व अधोसंरचना को नए आयाम मिलेंगे। पूरी खबर पढ़ें।
राजराजेश्वर मंदिर को बी-वर्ग दर्जा कैसे मिला?
अकोला जिले के नागरिक लंबे समय से राजराजेश्वर मंदिर बी-वर्ग दर्जा की माँग कर रहे थे। पश्चिम अकोला के विधायक साजिद खान पठान ने पिछले शीतकालीन अधिवेशन 2024 में इस मुद्दे को पहली बार विधानसभा में उठाया। मार्च 2025 के बजट सत्र में उन्होंने दोबारा जोरदार ढंग से कहा कि यह केवल विकास का नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था का प्रश्न है।
15 दिन पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार की जिला समीक्षा बैठक में भी पठान ने यह विषय रखा। सकारात्मक आश्वासन के बाद 26 जून 2025 को नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव-2 गोविंदराज की अध्यक्षता में मुंबई में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें अमरावती संभागायुक्त श्वेता सिंगल और अकोला के जिलाधिकारी अजित कुंभार शामिल हुए। वीडियो कॉन्फरेंस से मनपा आयुक्त सुनील लहाने भी जुड़े। बैठक में सर्वसम्मति से अकोला मंदिर विकास योजना को हरी झंडी तथा बी-वर्ग दर्जा मंजूर हुआ।
दर्जे से क्या बदल जाएगा? शहर को पाँच बड़े लाभ
1. धार्मिक पर्यटन में उछाल – बी-वर्ग टैग मिलने से मंदिर राज्य सरकार की तीर्थक्षेत्र सूची में शामिल होगा, जिससे वार्षिक दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
2. आधोसंरचना अनुदान – सड़क, प्रकाश व्यवस्था, पेयजल व स्वच्छता जैसी सुविधाओं के लिये विशेष कोष उपलब्ध होगा।
3. स्थानीय रोजगार – होटल, गाइड, हस्तशिल्प व परिवहन सेवाओं में नई नौकरियाँ पैदा होंगी।
4. संरक्षण एवं जीर्णोद्धार – मंदिर की प्राचीन स्थापत्य कला एवं मूर्तियों के संरक्षण के लिये संस्कृति विभाग तकनीकी सहायता देगा।
5. सामाजिक समृद्धि – विकास परियोजनाओं से स्थानीय कारोबार को प्रोत्साहन व कर-राजस्व में वृद्धि होगी।
अकोला के लिये यह निर्णय मील का पत्थर है। मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार, शुरुआती चरण में 15 करोड़ रुपये की विकास रूपरेखा तैयार की जा रही है, जिसमें मुख्य द्वार का सौंदर्यीकरण, प्रसादालय, इलेक्ट्रिक दर्शन पथ तथा तीर्थयात्रियों हेतु बहुउद्देशीय धर्मशाला शामिल होंगे। भू-अर्जन एवं नक्शा स्वीकृति प्रक्रियाएँ अगले दो माह में पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
विधायक पठान ने प्रेस वार्ता में कहा कि “जनविश्वास से बड़ा कोई जनादेश नहीं। श्रद्धालुओं की माँग पूरी कर राज्य सरकार ने आस्था का सम्मान किया है।” प्रधान सचिव-2 गोविंदराज ने आश्वस्त किया कि बजट आवंटन होते ही टेंडर प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। संभागायुक्त श्वेता सिंगल ने जिला प्रशासन को मासिक प्रगति रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिये हैं।
कांग्रेस, राकांपा तथा शिवसेना नेताओं ने भी निर्णय का स्वागत किया है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश तायडे का कहना है कि सरकार को मंदिर के साथ-साथ आस-पास के ऐतिहासिक तालाब व उद्यानों का भी पुनरोद्धार करना चाहिए, जिससे अकोला धार्मिक पर्यटन सर्किट तैयार हो सके।
सरपंच संगठन की राय अलग है। उनका तर्क है कि विकास कार्यों में स्थानीय ग्राम पंचायतों को परामर्श प्रक्रिया में जोड़ा जाए, ताकि भूमि विवाद न उत्पन्न हों। विशेषज्ञों का मानना है कि समावेशी दृष्टिकोण अपनाकर परियोजना को समयबद्ध रूप से पूरा किया जा सकता है।
राज्य की इस ऐतिहासिक घोषणा पर आपकी क्या राय है? क्या राजराजेश्वर मंदिर को बी-वर्ग दर्जा मिलने से अकोला का कायाकल्प होगा? अपने विचार कमेंट में साझा करें और ऐसी ही अपडेट के लिये हमारी वेबसाइट को बुकमार्क करें।